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नमस्कार दोस्तों , बापू की कर्मभूमि चंपारण पर आप सभी का स्वागत है . यह पत्रिका बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के एक छोटे से शहर मोतिहारी के युवा छात्रों के द्वारा संचालित होती है जिसमें  आप रूबरू होंगे मोतिहारी की विलक्षण प्रतिभाओं से .

Welcome To Motihari Patrika - "The world of creativity"


 न कोई अपना ,न कोई पराया !

                  -Kumar Sundaram


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क्या किया था मैंने.. की सबकुछ छीन लिया ,
बीच मझधार में मुझे छोड़ दिया।
गिर-गिर कर भी मैं मांगता रहा सहारा,
न कोई अपना आया , न कोई पराया।
जब डूब गयी कश्ती मेरी.. देने को सहारा
...आएं अपना और पराया।

जब तक था जान , मन में था खूब विश्वाश,
जीतने की कोशिश तो की.. पर कम था प्रयास।
अगर खुद न किया होता ऐसा मज़ाक ,
तो मैं इस दुनिया में न रहता अनजान।
शहर है अपना फिर भी वीराना ,
इस समंदर का दूर है किनारा।
न कोई अपना ,न कोई पराया।

वह वक़्त कितना खास था ,
जब यार मेरे पास था।
जीतने की आस थी , क्योंकि खुशियां मेरे पास थी।
छीन लिया सबकुछ देकर सारी खुशियां ,
अब क्या करेगा लेकर मेरी खुशियां.......??

भेज दिया इस दुनिया में , जो है अनजान
न कोई अपना आया , न कोई पराया
शहर है अपना फिर भी पराया।

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यह कविता सुंदरम कुमार के द्वारा लिखी गयी है। वे मोतिहारी के छतौनी से वास्ता रखते हैं और वर्तमान में सुपर- 30 पटना के छात्र हैं।

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