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Motihari Patrika

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                     Interview of Er. Munna Kumar Arya 

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सब्ज़ी बेचने से लेकर डॉ. कलाम से मिलने तक का सफर 


पढ़िए मुन्ना कुमार आर्य का पूरा इंटरव्यू प्रधान संपादक राकेश कुमार के साथ  

# सर, सबसे पहले तो हम आपकी पृष्ट्भूमि (background) और शिक्षा के बारे में जानना चाहेंगे .

मैं पकड़ीदयाल थाना के सिरहा गाँव के एक गरीब परिवार से हूँ। ३ साल के उम्र में ही मेरे पिताजी का देहांत हो गया। गरीबी के कारण मुझे होटल में काम करना पड़ा , सब्ज़ियाँ बेचनीं पड़ी, यहाँ तक की छोटा-मोटा दुकान भी चलना पड़ा। प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल से हीं प्रारम्भ हुई। मैं गणित में काफी तेज़ था , इसी कारण अन्य बच्चों को मैं ट्यूशन पढ़ाने लगा, जिससे मेरे पढाई का खर्च निकल जाता था। इस तरह , मेरे उच्च शिक्षा का हौसला बढ़ता गया। अंततः शिक्षा ऋण लेकर मैंने B.I.T. मेरसा, रांची से M.C.A. किया।


# आपके द्वारा लाखों की नौकरी छोड़ने का क्या कारण रहा ?

- B.I.T. मेरसा में पढ़ने के दौरान मेरा प्लेसमेंट Cognigent Technology Solution , calcutta में हुआ। चूँकि , बचपन से हीं पढ़ाने में रूचि थी तथा लोगों से घुलना-मिलना मुझे काफी पसंद था। मेरे अंदर बच्चों को गाइड करने तथा उनके सपनो को जगाने की प्रतिभा थी। और समाज के लिए कुछ करने की चाह ने मुझे लाखों की नौकरी छोड़ने पर मज़बूर कर दिया।


# Khwab foundation की शुरुआत कैसे हुई ? इसके शुरुआत के पीछे क्या प्रेरणा रही है , और यह किन-किन क्षेत्रों में   कार्य कर रहा है ??

- नौवीं कक्षा के नागरिक शास्त्र (Civics) में मैंने पढ़ा था - 'सामूहिक स्तर पर किया गया कार्य , व्यक्तिगत स्तर पर किये गए कार्य के उपेक्षा अधिक प्रभावशाली होता है। इसी को मद्दे-नज़र रखते हुए मेने सोचा की एक ऐसा संगठन बनाया जाये जो की ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में सपनों को जागृत करे , संरक्षित करे और उसे पूरा करे। और इस तरह ग्रामीण छात्र युवा संघ का उदय हुआ , जो की वर्त्तमान में ख्वाब फाउंडेशन से विख्यात है।
यह फौन्डेशन मुख्यतः शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करता है।

# भूतपूर्व-राष्ट्रपति Dr. A.P.J. Abdul Kalaam से आपके मिलने का सपना कैसे साकार हुआ ??

- मैं बचपन से ही Dr. A.P.J. Abdul Kalaam जी से काफी प्रभावित रह हूँ। 6 वर्षों के प्रयास के बाद उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कॉलेज लाइफ के दौरान दीक्षांत समारोह में कलाम सर का आगमन मुख्या अतिथि के रूप में हुआ। मिलने के लिए मैं काफी उत्साहित था, लेकिन मेरे पास मिलने का कोई कारण न था। उसी समय मेने एक प्रोजेक्ट बनाया , जिसका नाम नेचुरल ऑपरेटिंग सिस्टम था। जो की हमारे वातावरण पर आधारित है , की कैसे हम समाज में सकारात्मक वातावरण का संचार कर सकतें हैं। पर दुर्भाग्यवश मैं उनसे' दीक्षांत समारोह ' में मिल न पाया। मैं नियमित रूप से कलाम सर के वेबसाइट को विज़िट करता था, और अपने द्वारा किये गए सामाजिक कार्यों के चित्रों को फेसबुक पर डाला करता था , और कलाम सर को ईमेल किया करता था. फेसबुक पर मेरे अकाउंट से कलाम सर के सलाहकार वि-पुण जी से जुड़े हुए थे , जो की मेरे कार्यों से काफी प्रभावित हुए थे और अक्सर मैं उन्हें कलाम सर से मिलाने के लिए अनुरोध किया करता था। और इसी क्रम में पटना में कलाम सर का आगमन हुआ। विपुण जी और श्रीनिवासन जी की सहायता से कलाम जी से मिलने का सपना साकार हुआ।

मुन्ना कुमार आर्य के साथ प्रधान संपादक राकेश कुमार :-
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