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नमस्कार दोस्तों , बापू की कर्मभूमि चंपारण पर आप सभी का स्वागत है . यह पत्रिका बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के एक छोटे से शहर मोतिहारी के युवा छात्रों के द्वारा संचालित होती है जिसमें  आप रूबरू होंगे मोतिहारी की विलक्षण प्रतिभाओं से .

Welcome To Motihari Patrika - "The world of creativity"

 आखिर U.D.R.S. से परहेज़ कब तक ?

                            - Ankit Raj 
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अभी से कुछ दिन पहले जब भारत और वेस्टइंडीज के बीच एक दिवसीय मैचों का सीरीज चल रहा था ,उसके दूसरे एकदिवसीय मैच में रहाणे खेल रहे तब उन्हें सुलेमान बेन की एक गेंद पे पगबाधा आउट दे दिया गया पर रहाणे इस फैसले से खुश नहीं दिखे। और साथ ही साथ टी.वी. रीप्ले में भी देखा गया कि कहीं न कहीं यह गेंद ऑफ स्टंप मिस कर रही थी। और सिर्फ यह ही नहीं बल्कि हाल ही में भारत के इंग्लैंड दौरे पर भी हमें कुछ गलत फैसले देखने को मिलें, जिनका काफी हद तक मैच और सीरीज के नतीजे पर पड़ा। पर ज़रा सोचिये अगर यू.डी.आर.एस. (अंपायर डिसिशन रिव्यु सिस्टम ) होता तो इन नतीज़ों में हमें बदलाव भी देखने को मिल सकते थे। और जो टेस्ट सीरीज भारत हरा था , वो भारत के पक्ष में भी हो सकता था ,लेकिन भारत पिछले कुछ सालों से यू.डी.आर.एस. का विरोध कर रहा है। दरअसल भारत उन् टीमों में से है जिसने सबसे पहले यू.डी.आर.एस. के प्रयोग को सहमति दी थी।


                  २००८ में श्रीलंका में यू.डी.आर.एस का प्रयोग हुआ , पर भारतीय क्रिकेटर इसकाज़रा भी फायदा नहीं उठा सकें और बाद में भारत की हार की वजह इसे ही ठहराया गया , और तब से ही भारतीय बोर्ड इसके विरूद्ध रही है। दरअसल इस सिस्टम को लागू करना मेज़बान बोर्ड की ज़िम्मेदारी होती है। और आइ.सी.सी की मौजूदा नीति के अनुसार हर टेस्ट सीरीज में यू.डी.आर.एस का प्रयोग ज़रूरी है , पर भारत के वजह से ही यह सिस्टम हर सीरीज में लागू नहीं हो पा रहा है। भारत ने तो इस सिस्टम को २०११ के विश्व कप में भी लागू करने से इंकार कर दिया था , पर आई.सी.सी के हस्तक्षेप के बाद भारत इसके लिए मान गया। पर विश्व कप के बाद भारत ने फिर कभी इस सिस्टम को लागु नहीं होने दियां। दरअसल बोर्ड किसी भी नयी तकनीक को अपनाने में हमेश पीछे रहा है , लेकिन समय की मांग यही है की यू.डी.आर.एस के प्रयोग को समझें। भारतीय क्रिकेटर भी यह सीखें की इस सिस्टम का वे किस तरह फायदा उठा सकतें हैं। श्रीलंका के विरुद्ध सीरीज में सबसे बड़ी गलती यह हुई थी की भारतीय क्रिकेटर यह समझ ही नहीं पा रहे थे की इस सिस्टम का फायदा कैसे उठाया जाए!!!!!!

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यह कविता अंकित राज के द्वारा लिखी गयी है। वे मोतिहारी के गायत्री नगर से वास्ता रखते हैं और वर्तमान में डी. पी. एस. मोतिहारी में 10 वीं के छात्र हैं।

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